भाभी के घर में घुस के की चुदाई भाग-2
उस दिन के बाद से मैं अपना ज़ादा तर वक्त दुकान पर बिताने लगा ताकि मैं उनसे दोबारा मिल सकू। मेने नेहा से भाभी का नाम पूछा और मुझे पता लगा की उनका नाम चंचल है। मेने फिर नेहा से उनका ब्लाउज के बारे में पूछा तोह नेहा ने कहा “वो तोह कल ही रेडी हो गया था पर वो लेने ही नही आई जब की आपके पिता जी ने उनको बोलै था।”
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भाभी के घर में घुस के की चुदाई भाग-1
ये सुन कर मैं यकीन कर गया की भाभी खुद भी चाहती थी की मैं उनको कॉल करू। तुरंत मेने बहार जा कर अकेले में चंचल भाभी को फ़ोन किआ और कहा आपका ऑडर रेडी है आप लेने आ सकते हो। भाभी ने कुछ देर रुक कर शर्मीली आवाज़ में कहा मेरी कमर में दर्द है क्या तुम देने आ सकते हो ?
मेने बिना सोचे समझे हाँ बोल दिए और चंचल भाभी ने अपने घर का पता मुझे sms कर दिया। मैं ख़ुशी से अपनी बाइक पे बैठा और नेहा से भाभी का ब्लाउज ले कर चल दिया। भाभी का घर देखते ही मैं हैरान हो गया क्यों की भाभी का घर भोत बड़ा और सुन्दर था। मेने जब घर की घंटी बजाई तो एक आदमी बहार आया। मैं सोच रहा था की कही वो उनका पति तोह नही।
उस आदमी नही मुझ से कहा “बोलो क्या काम है?”
मेने कहा ” मुझे चंचल जी से मिलना है उनका कुछ सामान देना था। “
तभी पीछे से भाभी आ गई और उन्हों ने कहा ” अरे आ गए तुम बड़ा टाइम लगा दिया तुमने ? ”
उस आदमी ने पूछा ” क्या हुआ डार्लिंग ये कौन है ? “
भाभी ने कहा ” ये पास ही के एक टेलर मास्टर का बीटा है मेने कुछ सिलवाया था तोह वही देने आया है। “
आदमी ने कहा “ओके चलो मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हु अपनाया ख्याल रखना “
उस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे भाभी से मिलने की मुझे इतनी जल्दी थी की मैं बिना सोचे समझे उनके घर चला आया। भाभी मुझे प्यार से देखा और अंदर बुला लिया। मैं ऑनर गया तोह भाभी अपनी पतली कमर मेरे सामने मटकाते हुए रसोई में गई और बोली चाय पीओ गे ? मेने शरमाते हुए मना कर दिया।
तोह भाभी ने कहा कहा ” अब क्यों शरमा रहे हो ? नाप लेते वक्त तोह बड़े मर्द बन रहे थे ? “
क्यों की मैं समाज गया था भाभी क्या चाहती है मेने बेशर्मी के साथ कहा ” आपका बदन देख मैं खुद को रोक नही पाया। “
चंचल भाभी (मुस्कुराते हुए) : तोह अब क्यों रोक रहे हो ?
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ये सुन कर मैं हैरानी के साथ बोला : मतलब क्या है आपका ?
चंचल भाभी अपनी साड़ी उतारते हुए : वही जो तुम समाज रहे हो !
मेने पानी का एक घुट पिया और ये सोचने लगा अभी अभी तोह इनका पति ऑफिस के लिए निकला है क्या ये करना सही हो गा?
तभी भाभी बोल पड़ी : तुम चाहो तोह सिर्फ पानी पी कर जा सकते हो !
उनकी कोमल आवाज़ और ब्लाउज में छुपे स्तन और पतली कमर देख मेने सोचा आज नही किआ तो शायद फिर कभी नही कर सपाउ गा। पानी का गिलास रख मैं भाभी के पास गया और उनकी कमर पे हाथ रख उनको अपने पास खेच लिए और उनके गुलाबी रसीले होठो को चुंबने लगा।
मेने पहली बार किसी के होठो को अपने होठो पे महसूस किआ और उस एहसास में डूबता चला गया। भाभी भी धीरे धीरे मदहोश हो रहे थी की तभी मेने उनकी गर्दन को चाटना और चुंबन शुरू कर दिया।
मन ही मन मैं भाभी की चुदाई करने के लिए बेताब था। मेने भाभी की गांड को दोनों हाथ से पकड़ा और दबाते हुए उनके होठो को चुम्ब रहा था। की तभी उनको ने अपना ब्लाउज खोल दिया और कहा लो खेल जो जितना खेलना है।
मैं भाभी की गांड छोड़ क्र उनका स्तनों पर झपट पड़ा और उनको दबाने लगा। तभी भाभी भी तेज़ सासे लेने लगी। भाभी ने लाइट ऑरेंज ब्रा पहनी थी जिनसे उनके निप्पल्स हलके हलके देख रहे थे।
मेने भाभी की आँखों में देखते हुए कहा “क्या मैं इनको ?” मेरे पूरा बोलने से पहले ही भाभी ने हाँ बोल दिए और मैं उनकी ब्रा के ऊपर से हे उनके निपल्स चूसने लगा। और भाभी की कमर के पीछे से हाथ डाल कर ब्रा खोलने लगा तभी भाभी ने मुझे धक्का दिए और हाथ पकड़ कर बैडरूम में ले गई।
तभी मेने देखा उनका करीब 2 साल का छोटा बच्चा भी था जो गहरी नींद में था। भाभी ने उसको उठाया और ऊपर वाले कमरे में लटा दिया और वापस आ गई।
ये देख में हैरान हो गया और मुझे लगा मैं ये गलत कर रहा हु पर चंचल भाभी का नंगा शरीर देख मेरा लण्ड फूलने लगा और मैं खुद को रोक नही पाया। भाभी ने मेरे कपडे उतरे और बिस्तर पर लेटा दिया और मेरा लण्ड चूसने लगी। मुझे नही पता था की इतनी मासूम और संस्कारी दिखने वाली भाभी इतनी हवसी निकले गी।
भाभी मेरा लण्ड और गोटिअ चारो तरफ से चाट और चुम्ब रही थी। आज से पहले मेरे साथ ऐसा कोई नही किआ था तोह मुझे थोड़ा दर्द भी होने लगा था।
आज भाभी गोटिअ चूस रही थी तो मेने उन्हें दर्द के मरे वही रोक दिया और भाभी की साड़ी उतरने लगा और उनकी बड़ी गांड में अपना मुँह दे दिआ और उनकी चुत गीली करने लगा। चंचल भाभी का शरीर गरमा होता चला गया और वो मुझ से अपनी चुत चटवाती रही।
कुछ देर बाद मेने अपना लण्ड उनकी चुत की तरफ बढ़ाया तोह भाभी ने मुझे रोक किआ और बैड के दराज में से कंडोम निकाला और मुझे पहने को बोलै।
मेने फटाफट कंडोम पहन लिए और भाभी की चुत में अपना लण्ड घुसा दिआ और उनकी चुदाई करने लगा। चंचल भाभी मेरे सामने लेटी हुई थी अपने पैर खोले और उनकी गुलाबी गीली चुत में मैं अपना लण्ड गुसा कर ज़ोर ज़ोर से धके मार रहा था।
भाभी उस सुबह का पूरा मज़ा ले रही थी और अपनी नरम आवाज़ में धीरे धीरे चीला भी रही थी। उनकी तेज़ ससे अपने चेहरे पे महसूस कर मुझे और जोश चढ़ रहा था। चंचल भाभी आँखे बंद किये लेटी रही उनकी चुदाई करता रहा।
कुछ देर की ज़ोर दर चुदाई के बाद भाभी की चुत से सफ़ेद और गाढ़ा पानी निकलने लगा और उनकी चुत और भी चिकनी हो गई। उस वक्त भाभी और भी सेक्सी और हॉट लग रही थी इसी वजह मेरे लण्ड से भी पानी निकल गया और कंडोम में भर गया।
मेने कंडोम उतरा और भाभी से कहा :- इसका अब क्या करना है ?
तोह भाभी हफ्ते हुए बोली :- इसको कूड़ेदान में फेक दो मैं बाद में देख लू गी।
इतनी ज़ोर दर चुदाई के बाद चंचल भाभी और मैं एक दीसरे के गले लग कर आधे घंटे तक बिना कपड़ो के बिस्तर पे पड़े रहे। मेने टाइम देखा तोह पता चला भाभी की चुदाई करते करते दोपहर के 1 बज गए थे। भाभी का बदन अभी भी मनो तप रहा था और वो बेजान बिस्तर में पड़ी हुई थी।
मेने कपडे पहनते हुए कहा :- चंचल जी मुझे अब जाना चाहिए अब बोहोत देर हो गई है।
भाभी :- जाओ पर वापस जरूर आना।
मेने हस्ते हुए कहा हाँ हाँ ज़रूर और जाते जाते भाभी के होठो पर चुम्बा और उनकी स्तनों और एक बार और दबा कर चला गया बहार जाते वक्त मेने उनके बेटे की रोने की आवाज़ सुनी तोह भाभी को फिर बुला लिए और भाभी कपडे पहने कर भागते हुए ऊपर चली गई। जाते जाते भाभी ने मुझे घर के पीछे वाले दरवाजे से जाने को कहा और मैं वह से चला गया।
उस दिन के बाद से मेने अपने कॉलेज की लड़कीओ की डर्फ देखना हे छोड़ दिया क्यों की अब मेरे पास एक हवसी भाभी थी जिनकी मैं कभी भी जा कर चुदाई कर सकता था।
मैं नही जनता था की भाभी और उनके पति के बीच क्या चल रहा है और मुझे कोई मतलब भी नही था। मतलब था तो बस चुदाई और भाभी से साथ सेक्स का। उस दिन के बाद मैं हर हफ्ते काम से काम एक बार तोह भाभी की चुदाई कर डालता था।
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